टेरीफ वाले ट्रम्प अंकल : व्यंग्य




टेरीफ वाले ट्रम्प अंकल : व्यंग्य

DB-Arymoulik की कलम से

अंकल की एंट्री

राजनीति की दुनिया में कुछ लोग आते हैं और बस भीड़ में खो जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी एंट्री ही धमाकेदार होती है। जैसे गली के नुक्कड़ पर अगर कोई लालचौहे बाल्टी लेकर पानी भरने आए और बाल्टी से पहले अपनी टोपी दिखा दे, तो मोहल्ला उसे पहचान लेता है।

ठीक वैसा ही हुआ जब अमेरिका ने हमें डोनाल्ड ट्रम्प नामक कैरेक्टर दिया। सुनहरे बालों के गुच्छे, जो हर हवा के झोंके से लड़ाई करते दिखते हैं, चेहरे पर एक स्थायी मुस्कान और होंठों से निकला हर शब्द जो सच्चाई से ज्यादा कॉमेडी शो का स्क्रिप्ट लगता है।

दुनिया ने उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपति माना, पर हम लेखकों ने उन्हें तुरंत टेरीफ वाला ट्रम्प अंकल नाम दे दिया।

टेरीफ के दर्शन

अब अंकल की सबसे बड़ी खोज है—टेरीफ।
टेरीफ सिर्फ टैक्स नहीं है, ये अंकल के लिए विचारधारा है।

बच्चा रोए तो चॉकलेट पर टेरीफ लगा दो।

पत्नी नाखुश हो तो शॉपिंग मॉल पर टेरीफ ठोक दो।

पड़ोसी ऊँची आवाज़ में गाना बजाए तो उसकी खिड़की पर टेरीफ का नोट चिपका दो।


अंकल का मानना है कि इंसान को समझाने से अच्छा है, उसकी जेब हल्की कर दो। क्योंकि जेब से सीधा दिल तक करंट जाता है।

चीन से छेड़खानी

अब जरा सोचिए, दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी कौन? चीन। और दुनिया का सबसे बड़ा "टेरीफ मास्टर" कौन? ट्रम्प अंकल। जब दोनों आमने-सामने आए तो पूरी दुनिया ने सोचा कि यह कराटे का मुकाबला होगा।

अंकल ने चीन पर टेरीफ लगाया, चीन ने जवाब में टेरीफ लौटाया। नतीजा ये हुआ कि अमेरिकी दुकानों में खिलौने महंगे हो गए और चीन के गोदामों में माल अटक गया। लेकिन अंकल गर्व से बोले—
"देखो, मैंने चीन को झुका दिया!"

अरे भाई, चीन तो वही कर रहा था—मेड इन चाइना छापकर दुनिया में बेच रहा था। झुकी तो अमेरिका की जेब। मगर अंकल का आत्मविश्वास इतना ऊँचा था कि लोग सोचने लगे—"शायद यही असली जीत है।"

ट्विटर की तरकश

अब अंकल का दूसरा हथियार—ट्विटर।
जहाँ दुनिया के नेता आपस में बैठकर समझौते करते हैं, वहीं अंकल ट्विटर खोलकर धमकी लिखते हैं।

रविवार की सुबह, जब हम जैसे लेखक चाय पीकर अख़बार खोलते हैं, अंकल ट्वीट कर देते हैं—
"चीन, तुम बदमाश हो। अब 200 अरब डॉलर पर टेरीफ लगेगा।"

शाम होते-होते एक और ट्वीट—
"मेक्सिको, अगर तुम दीवार का खर्चा नहीं दोगे तो तुम्हारे एवोकाडो पर टेरीफ लगेगा।"

अब बताइए, इस तरह की धमकियों में व्यंग्यकारों का भविष्य सुरक्षित नहीं तो और क्या है? हमें तो विषय चुनने की भी मेहनत नहीं करनी पड़ती। अंकल खुद सुबह-शाम ट्वीट रूपी फ्री कंटेंट परोसते रहते हैं।

अंकल का बिज़नेस मॉडल

अंकल की सोच सीधी है—
"दुनिया मेरी दुकान है और मैं दुकान का ठेकेदार।"
अब अगर ठेकेदार है तो कमीशन भी लेगा, चाहे रिश्ते पर हो या दुश्मनी पर।

कनाडा—"तुम्हारी चीज़ अच्छी है, लेकिन टेरीफ लगेगा।"

यूरोप—"तुम्हारी गाड़ियाँ सुंदर हैं, पर टेरीफ लो।"

भारत—"तुम्हारे मसाले बड़े काम के हैं, पर टेरीफ जरूरी है।"


मतलब अंकल का बिज़नेस मॉडल साफ है—नफरत हो या मोहब्बत, दोनों का दाम तय है।

अंकल का परिवार-प्रेम

अब परिवार की राजनीति भी अंकल के लिए बिज़नेस डील है। बेटी इवांका को हर मीटिंग में ऐसे बिठाते हैं जैसे घर की शादी में रिश्तेदारों को "फ्रंट सीट" दिलवाते हैं। दामाद को आधा अमेरिका दे दिया, और बाकी का सौदा खुद देख रहे हैं।

मोहल्ले में ऐसे अंकल भी होते हैं—जो बच्चों की शादी में सबको बताते फिरते हैं कि "देखो, लड़का मेरा है, लड़की मेरी है, पैसा भी मेरा है, बस खाना तुम खाओ और दुआ दो।"

अंकल का आत्मविश्वास

सबसे मज़ेदार बात है अंकल का आत्मविश्वास।

कोरोना आया तो बोले—"ये सब चीन की चाल है, मेरे जादुई इंजेक्शन से ठीक हो जाएगा।"

पत्रकार ने सवाल पूछा तो बोले—"तुम फेक न्यूज हो।"

चुनाव में हार दिखी तो बोले—"मैं तो जीता ही था, वोटिंग मशीन धोखेबाज़ है।"

इतना आत्मविश्वास अगर किसी कवि को मिल जाए तो वह हर अधूरी कविता को महाकाव्य बताकर बेच दे।

एक लेखक होने के नाते मैं मानता हूँ कि ट्रम्प अंकल राजनीति के मंच पर उतने ही जरूरी हैं जितना कॉमेडी शो में "हँसोड़ किरदार।"

उनका हर बयान, हर टेरीफ, हर ट्वीट दुनिया के लिए आर्थिक संकट हो सकता है, लेकिन व्यंग्यकारों के लिए यह सोने की खदान है।

जब भविष्य में इतिहास लिखा जाएगा तो किताबों में अंकल का नाम शायद आर्थिक सुधारों या विदेश नीति में न मिले, पर हास्य और व्यंग्य की किताबों में ज़रूर लिखा होगा—

"ये थे टेरीफ वाले ट्रम्प अंकल, जिनकी राजनीति नहीं, कॉमेडी ही असली विरासत हैं।"

DB-arymoulik

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