दूर करें दुर्भाग्य
दूर करें दुर्भाग्य
दुर्भाग्य अर्थात जीवन में आने वाला ऐसा समय जब मनुष्य के प्रयासों के बावजूद उसे सफलता नहीं मिलती। यह समय मन को हताश करता है, परंतु यही समय आत्ममंथन और आत्मबल को जागृत करने का अवसर भी होता है।
दुर्भाग्य किसी भी व्यक्ति के जीवन का स्थायी सत्य नहीं होता। यह काल ग्रहों की स्थिति, कर्मों के फल और मनुष्य के दृष्टिकोण पर भी निर्भर करता है। प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है –
"न हि दुर्भाग्यमस्ति पुरुषस्य प्रयासवत:"
अर्थात कोई मनुष्य दुर्भाग्यशाली नहीं होता, यदि वह प्रयत्नशील हो।
दुर्भाग्य के समय में कई लोग ईश्वर पर दोष देते हैं, जबकि यह समय साधना, संयम और धैर्य का होता है। यह हमारे जीवन का ऐसा पड़ाव है, जहाँ हम अपने अंदर छिपी हुई शक्ति को पहचान सकते हैं।
समाधान:
दुर्भाग्य को दूर करने के लिए कर्मशील बनना, सत्संग करना, ईश्वर का स्मरण करना और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शांति उपाय अपनाना आवश्यक है।
जैसे –
दान-पुण्य करना
मंत्र जाप (जैसे "ॐ नमः शिवाय")
ग्रह शांति यज्ञ
गौ सेवा
दुर्भाग्य कोई शाप नहीं, बल्कि जीवन की परीक्षा है। इसे धैर्य, श्रद्धा और साहस से पार किया जा सकता है। याद रखें –
"सूरज चाहे कितनी देर बाद निकले, अंधेरा सदा नहीं रहता।"
दुर्भाग्य के लक्षण और उसे ठीक करने के उपाय हमारे मन, जीवनशैली और कर्मों से जुड़े हुए होते हैं। इस विषय को धार्मिक, मानसिक और व्यवहारिक दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।
**दुर्भाग्य के प्रमुख लक्षण**:
1. **लगातार असफलता** – मेहनत करने पर भी बार-बार विफलता मिलना।
2. **मन में डर, बेचैनी और निराशा** – बिना कारण चिंता और भय बना रहना।
3. **धन की हानि या आर्थिक रुकावटें** – आय रुक जाना, खर्च बढ़ना, बचत न हो पाना।
4. **रिश्तों में बार-बार तनाव** – परिवार, मित्रों या सहकर्मियों से अनबन।
5. **स्वास्थ्य का गिरना** – बिना कारण बीमारियां या इलाज से लाभ न मिलना।
6. **स्वप्न दोष या बुरे सपने** – डरावने, परेशान करने वाले सपने बार-बार आना।
7. **मनोकामनाओं में देरी** – हर कार्य में विलंब, बार-बार अड़चनें।
8. **पवित्रता का अभाव** – पूजा-पाठ में मन न लगना, धार्मिक कार्यों से दूरी।
9. **नकारात्मक सोच का हावी होना** – हर बात में बुराई दिखना, उम्मीद खो देना।
**दुर्भाग्य को ठीक करने के उपाय**:
🧘♂️ **आध्यात्मिक उपाय**:
1. **नित्य प्रार्थना व ध्यान** – दिन की शुरुआत मंत्र जप या ध्यान से करें (ऊँ नमः शिवाय, गायत्री मंत्र)।
2. **भाग्य शुद्धि हेतु दान** – प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार अन्न, वस्त्र, गौ सेवा, गरीबों की सेवा करें।
3. **हवन या अग्निहोत्र** – विशेष रूप से शनिवार और अमावस्या पर दुर्भाग्य निवारण के लिए करें।
4. **पितृ दोष निवारण** – श्राद्ध, तर्पण या पीपल वृक्ष की पूजा करें।
5. **ग्रह शांति** – शनि, राहु, केतु आदि की शांति के लिए वैदिक मंत्रों का जाप कराएं।
🧠 **मानसिक व व्यवहारिक उपाय**:
1. **नकारात्मक सोच से बचें** – "मैं कर सकता हूँ" वाली सोच अपनाएं।
2. **स्वच्छता और अनुशासन** – घर व कार्यस्थल को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।
3. **सकारात्मक संगति** – सकारात्मक और प्रेरक लोगों के संपर्क में रहें।
4. **अच्छे कर्म करें** – ईमानदारी, सहानुभूति और विनम्रता से काम लें।
5. **स्वावलंबी बनें** – दूसरों पर आश्रित न रहें, आत्मनिर्भर बनें।
🏠 **वास्तु और दिनचर्या संबंधी उपाय**:
1. **मुख्य द्वार की स्वच्छता** – घर का मुख्य द्वार साफ और सुसज्जित रखें।
2. **तुलसी व दीपक** – प्रतिदिन तुलसी के पास दीपक जलाएं।
3. **घर में गूंजे मंत्र** – समय-समय पर "हनुमान चालीसा", "दुर्गा सप्तशती" या "शिव तांडव" का पाठ करें।
4. **जूठे बर्तन रात में न छोड़ें**, झाड़ू खड़ी न रखें।
📿 विशेष मंत्र जाप (रोज़ 108 बार):
"ॐ ह्रीं क्लीं नमः"– दुर्भाग्य नाश के लिए।
"ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः"– आर्थिक समस्याओं के लिए।
"ॐ नमः भगवते वासुदेवाय" – समस्त दोषों के निवारण के लिए।
नित्य के नियम को बदले
1. ब्रह्म मुहूर्त जागरण (प्रातः 4:30–5:00
अलार्म लगाकर जागें।
उठते ही मन ही मन "कराग्रे वसते लक्ष्मी" मंत्र बोलें। या 11 बार कृष्णाय वासुदेवाय का मंत्र बोले
2. गुनगुना जल पीकर शौचादि जा कर शरीर को शुद्ध करें।इसके बाद स्नान करें (अगर हो सके तो हल्दी और चंदन मिला जल प्रयोग करें)।
3. प्रार्थना और ध्यान (प्रातः5:30–6:00)
किसी शांत स्थान पर बैठकर 5–10 मिनट तक गायत्री मंत्र या ॐ नमः शिवाय का जप करें। इसके बाद 10 मिनट श्वास पर ध्यान दें यानि अनुलोम-विलोम करें
4. पूजन व आध्यात्मिक अभ्यास प्रातः6:30–7:00 AM के बीच घर के मंदिर में दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या शिव चालीसा का पाठ करें। पीपल या तुलसी को जल अर्पित करें।
5. कर्म पर फोकस (प्रातः 8 से शाम तक)
हर कार्य को निष्ठा और ईमानदारी से करें, भले ही छोटा हो। बार-बार शिकायत करने से बचें। और कार्य के प्रति विश्वास रखें
"कर्मण्येवाधिकारस्ते..."
6. दान और सेवा (साप्ताहिक या मासिक)
हर शनिवार को एक गरीब को भोजन या कपड़े दें या किसी जरूतमंद गरीब की सहायता करें साथ ही गौ सेवा, जलसेवा, वृक्षारोपण जैसे कार्यों में भाग लें।
सायंकाल (6–7:30 बजे)
7. संध्या में घर में दीपक जलाकर शाम की आरती करें। और किसी भी मंत्र का एक माला जप करे उसके बाद शांति से 5 मिनट आंखे बंद करके मौन रहें किसी अच्छे दृश्य की कल्पना करें.
8.रात्रि काल के समय स्व आत्म-चिंतन (10 मिनट) दिनभर के कार्यों का आत्म-मूल्यांकन करें – कहाँ गलती हुई, क्या सुधारा जा सकता है।
9. सोने से पूर्व "ॐ ह्रीं क्लीं नमः" मंत्र 21 बार जपें। भगवान से दिनभर की भूलों के लिए क्षमा माँगें।
10. जरूरी नियम का पालन नियमित करें
कभी भी किसी को धोखा न दें।
कभी भी भोजन बर्बाद न करें।
हर दिन कम से कम एक अच्छा कार्य करें भले ही वो मुस्कान देना ही क्यों न हो।
धैर्य, विश्वास और लग्न से करें फिर देखे दुर्भाग्य कैसे दूर होता है.
एस्ट्रो-डीबी
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