स्त्री कुंडली के महत्वपूर्ण सूत्र
स्त्री कुंडली के महत्वपूर्ण सूत्र
यदि स्त्री जातिका की जन्मकुंडली के अष्टम भाव में शनि, सूर्य, राहु, केतु, बृहस्पति अथवा मंगल इनमें से कोई भी ग्रह बैठा हो तो स्त्री सौभाग्यवती शुभ आचरण करने वाली सबको प्रिय व पति सेवा में निपुण होती है।
* यदि छठे भाव में चंद्र बैठे हो तो उस स्त्री को पति सुख से वंचित होना पड़ता है।
यदि शुक्र छठे भाव में स्थित हो तो वह स्त्री सब कुछ होते हुए भी अभाव में अपना जीवन व्यतीत करती है।
यदि अष्टम भाव में बुध बैठे हो तो ऐसी स्त्री कलह प्रिय व परिवार में अशांति का कारण बनती है।
यथा षष्ठे शनैश्चरकुजी रविराहुजीवाः, नारीं करोति शुभगाम पतिसेविनीम, चंद्रः करोति विधवामुशना दरिद्राम, वेश्यां शशांक तनय: कलह प्रियाम वा,
लग्न सूत्र
लग्न में अगर शुभ ग्रह जैसे शुक्र, बुध, गुरु, चंद्र तो जातक को उसके शुभ चिंतकों और उसके आलोचकों या कहें उसका हित न चाहने वाले लोगों में अंतर करने में कठिनाई होगी यह पहचान नहीं पाएगा !
जबकि पापी ग्रह मंगल, शनि, सूर्य, राहू, केतु, लग्न में हों तो उसे साफ पता होगा कि कौन मेरा मित्र है और कौन मेरा शत्रु ।
ऐसे में खास बात क्या है कि लग्न में पापी ग्रह होने जातक का दिन कम दुखता है क्योंकि वो अपनों से अमीद ही कम रखता है जबकि शुभ ग्रह लग्न वाला इस मामले में हार जाएगा क्योंकि उसकी समीक उसको अपने कई बार तोड़ देंगे जिसकी उसने महई भी की होगी।
Astro-db anusandhan
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