गौ पुराण अध्याय-3
गौ पुराण-3
📘 अध्याय 3
🕉️ गोमूत्र, गोबर और पंचगव्य का आयुर्वेदिक व वैज्ञानिक महत्त्व
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3.1 – पंचगव्य की परिभाषा और उपयोग
पंचगव्य का अर्थ है:
गौ माता से प्राप्त पाँच पवित्र पदार्थ:
दूध, दही, घी, गोमूत्र, और गोबर।
श्लोक (गौ पुराण):
"पञ्चगव्यं तु यः पानं करिष्यति स बुद्धिमान्।
सर्वरोगविनिर्मुक्तः, स याति परमां गतिम्॥"
हिंदी अर्थ:
जो पंचगव्य का सेवन करता है, वह बुद्धिमान होता है,
सभी रोगों से मुक्त होकर परम गति प्राप्त करता है।
व्याख्या:
पंचगव्य केवल धार्मिक नहीं, औषधीय और शारीरिक शुद्धि का माध्यम है।
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3.2 – गोमूत्र का आयुर्वेदिक महत्त्व
श्लोक:
"गोमूत्रं लंघनं तीक्ष्णं कषायं लघु कटुकम्।
दीपनी वर्ण्य मेध्यं च त्रिदोषघ्नं विशेषतः॥"
हिंदी अर्थ:
गोमूत्र तीव्र, कड़वा, हल्का और अग्नि को प्रदीप्त करने वाला होता है।
यह स्मृति बढ़ाता है और वात-पित्त-कफ तीनों दोषों का नाश करता है।
व्याख्या:
गोमूत्र को आयुर्वेद में “चरक संहिता” तक में औषधियों के राजा के रूप में वर्णित किया गया है।
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3.3 – गोबर का औषधीय और पर्यावरणीय उपयोग
श्लोक:
"गोमये विष्णुर् वसति, गोमये सर्वदेवताः।
गोमयं लेपनं कुर्यात्, गृहे पुण्यं समावहेत्॥"
हिंदी अर्थ:
गोबर में स्वयं भगवान विष्णु और सभी देवताओं का वास होता है।
घर में इसका लेप करने से पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति होती है।
व्याख्या:
वैज्ञानिक रूप से भी गोबर का प्रयोग दीवारों पर लेप करने से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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3.4 – पंचगव्य चिकित्सा (Panchagavya Therapy)
> आयुर्वेद में पंचगव्य का प्रयोग निम्न रोगों में लाभकारी माना गया है:
✅ त्वचा रोग
✅ मधुमेह (डायबिटीज़)
✅ कैंसर
✅ मोटापा
✅ मानसिक विकार
✅ कब्ज, यकृत रोग, और अन्य पाचन संबंधी रोग
आधुनिक शोधों से पुष्टि:
गोमूत्र में urea, creatinine, copper, enzymes पाए गए हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
गोबर के धुएँ से मच्छर भगते हैं, विषाणु नष्ट होते हैं।
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3.5 – धार्मिक प्रयोग
श्लोक:
"पञ्चगव्यं गृहस्थस्य, शुद्धये परिकीर्तितम्।
यज्ने होमे च संप्रोक्तं, सर्वकर्मसु पूजितम्॥"
हिंदी अर्थ:
गृहस्थ को शुद्धि हेतु पंचगव्य का प्रयोग करना चाहिए।
यह यज्ञ, होम और सभी धार्मिक कार्यों में पूज्य है।
व्याख्या:
विवाह, श्राद्ध, यज्ञ, संस्कार – हर शुद्ध संस्कार में पंचगव्य का प्रयोग आत्मशुद्धि हेतु किया जाता है।
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अध्याय सारांश:
पंचगव्य शरीर, मन और आत्मा तीनों की शुद्धि करता है।
गोमूत्र त्रिदोष हरने वाला तथा रोग-नाशक है।
गोबर वैज्ञानिक रूप से रोगप्रतिरोधक और पर्यावरण रक्षक है।
पंचगव्य का प्रयोग आयुर्वेद, यज्ञ और धर्म में अनिवार्य है।
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उद्देश्य:
गौ माता से प्राप्त पदार्थों का धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक पक्ष उजागर करना, जिससे यह सिद्ध हो कि गाय केवल आस्था नहीं, आरोग्य और पर्यावरण की रक्षक भी है।
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