एकादश भाव
जन्म कुंडली में ग्यारहवें घर को एकादश भाव कहते हैं । इसके स्वामी को आयेश कहते हैं ।
💢 एकादश भाव से आमदनी , धन की प्राप्ति , बड़े भाई बहन , टांग का निचला भाग , बाया हाथ एवं कंधा के विषय में विचार किया जाता है ।
💢 एकादश भाव के कारक ग्रह बृहस्पति है ।
👉 एकादश भाव को दो प्रकार से देखा जाता है।
1 - षष्ठ भाव रोग एवं शत्रु का होता है एवं इससे छठा एकादश भाव होता है इसलिए इस भाव को स्वास्थ्य के लिए अकारक माना जाता है। परंतु अकेले एकादश भाव आकारक नहीं होता है यह मेरा मानना है जब एकादश भाव का संबंध षष्ठेश एवं अष्टमेश दोनो से हो तभी ज्यादा आकार होता है।
कई कुंडलियों में मैं देखा हूं कि एकादश की दशा में उसे किसी प्रकार की कोई ज्यादा परेशानी या कष्ट नहीं हुई ।
👉 2- एकादश भाव आमदनी का घर होता है । यह भाव स्वास्थ्य के लिए आकारक होता है परंतु धन एवं आमदनी के लिए कारक होता है । जिस भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो उन संबंधियों की आयु तथा संख्या में वृद्धि होती है जैसे तृतीय भाव का स्वामी एकादश स्थान में हो तो छोटे भाइयों की संख्या ज्यादा होगी एवं दीर्घायु होंगे। यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में विराजमान हो तो धन एवं कुटुंब के सुख में विशेष वृद्धि होती है ।
♦️ यदि द्वितीयेश एवं एकादशेश का संबंध द्वितीय या एकादश भाव में हो तो धन से संबंधित बहुत श्रेष्ठ योग बनता है । ( सभी लग्न में नहीं )
👉 यदि एकादश भाव का स्वामी द्वादश भाव में चले गए तो ऐसे व्यक्ति आमदनी से ज्यादा खर्च करते हैं । यदि छठे या आठवें भाव में चला जाए तो परिश्रम का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता आमदनी ठीक से नहीं होती है । यदि किसी को कर्ज दे दिया तो वापस मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है ।
👉 एकादश भाव एवं उसके स्वामी के पीड़ित होने पर बाएं हाथ में एवं घुटने से नीचे समस्या होने की संभावना ज्यादा रहती है ।
👉 यदि एकादशेश सप्तमेश तथा तृतीयेश के साथ परस्पर घनिष्ठ संबंध हो तो वायुयान से यात्रा करने के अवसर प्राप्त होते हैं क्योंकि यह तीनों वायु व स्थान है ।
👉 एकादशेश यदि शुभ ग्रह हो तो वह जिस भाव या भाव के स्वामी पर अपना प्रभाव डालेगा उसको मूल्यवान बना देगा ।
👉 यदि लग्नेश की महादशा हो और आयेश उसका शत्रु हो तो ऐसी दशा अंतर्दशा में व्यक्ति को शारीरिक कष्ट होता है । परंतु आमदनी भी होती है ।
👉 इस प्रकार एकादश भाव के स्वामी एवं उसकी स्थिति को देखकर अच्छे तरीके से विश्लेषण करने के बाद आखिरी निर्णय मानना चाहिए ।
_ज्योतिष कोई परमात्मा नही यह आपका मार्ग दर्शक है_
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