माइग्रेन
*माइग्रेन के रोगियों के लिये बहुत काम की है यह जानकारी*
माइग्रेन का दर्द सूरज उगने के साथ शुरू होकर दोपहर तक बढ़ता है और दोपहर के बाद घटना शुरू हो जाता है । इस रोग में चार से बारह घण्टे तक सिर में असहनीय पीड़ा होती है । इस लेख के माध्यम से हम माइग्रेन के रोग के समाधान के लिये कुछ उपयोगी जानकारी आपको दे रहे हैं, पाँच मिनट का समय निकालकर जरूर पढ़ियेगा ।
कम सोना, थकान रहना, समय से भोजन ना करना, लम्बे समय तक भूखे रहने, ज्यादा तनाव में रहने से, और रात को ज्यादा देर तक जागते रहने से यह रोग हो जाया करता है । ज्यादा ठण्डी चीजों के सेवन से और ठण्डी जगहों पर ज्यादा देर तक ठहरने से भी इस रोग की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं ।
अमूमन दर्द शुरू होने से पहले ही रोगी को इसके संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं । आँखों के सामने काला धब्बा और धुँधलापन सा छाने लगता है । कभी कभी तेज रोशनी की भी अनुभूति होती है । रोगी को हाथ पैर में झुनझुनाहट और सुन्नता महसूस होती है । मानसिक रूप से रोगी खिन्न सा रहता है और चिड़चिड़ा स्वभाव हो जाता है । आगे बात करते हैं इस रोग के समाधान के लिये कुछ कारगर उपायों की ।
मल-मूत्र, गैस और भूख के वेगों को रोकना नही चाहिये । यथासम्भव शीघ्र इनका त्याग कर देना चाहिये । मौसम के अनुकूल ही रहन सहन और खाना पीना रहना चाहिये ।
माइग्रेन के रोगी को हल्का, सुपाच्य और फाइबर युक्त भोजन करना चाहिये और हरी पत्तेदार सब्जियों और मौसमी फलों का सेवन जरूर करना चाहिये ।
रात को जल्दी सोने और सुबह को जल्दी उठने की आदत को नियमित बनायें । क्रोध, चिन्ता, तनाव आदि मानसिक विकारों से बचें ।
अपने आहार शैली पर जरूर ध्यान दें । मौसम के अनुसार ताजा बना भोजन ही करें और ठण्डी चीजों के सेवन से हर स्थिति में बचें । विशेष तौर पर रात के समय चावल, मूली, दही, राजमा आदि खाने से बचें ।
इस रोग की अचूक व रामबाण औषधी है देशी गाय का घी (जितना पुराना उतना उत्तम) इसको हल्का गर्म करके रात को सोते वक्त 2-2 बून्द दोनों नाक में डाले व हल्का खिंचे। इस प्रक्रिया से माईग्रेन ही नही , खराटे,लकवा,नकसीर,नाक की हड्डी बढ़ना,अनिद्रा,स्मरण शक्ति का कम होना, एलर्जी, ब्रेन में खून के बहाव की कमी जैसे जाने अनजाने सभी रोगों का नाश करती है।
सूर्योदय से पहले गाय के दूध के साथ जलेबी खाना, गुड़ की शक्कर डालकर गाय का दूध पीना बहुत लाभकारी होता है ।
माइग्रेन के दर्द की तीव्र अवस्था में दालचीनी पीसकर चन्दन के पेस्ट अथवा पानी के साथ सिर पर लेप करने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है ।
पुराना देशी गाय का घी या पंचगव्य नस्यधृत सुबह व रात को दोनो नाक में हल्का गर्म कर 2-2 बून्द डालकर धीरे से खीचने व इसके सेवन के बाद 1 घण्टे तक कुछ भी न सेवन करने से जड़मूल से नष्ट होता है।
जब भी नजला जुकाम सर्दी खाँसी सिरदर्द व माइग्रेन के दर्द का आभास हो उसी पल नाक में सरसोतेल की 2- 2 बूंद डालकर खिंचे व अजवायन को भूनकर भीमसेनी कपूर मिलाकर रुमाल की पोटली बनाकर सूंघते रहे इस प्रयोग से हर प्रकार के एलर्जी व वायरस के आक्रमण से बचते हैं।
केसर और चीनी को घी में भूनकर सूंघने से आधे सिर का दर्द ठीक होता है।
अदरक सूखी हो अथवा गीली, माइग्रेन के रोग में बहुत लाभ करती है । दिन भर में चार पाँच बार अदरक की गाँठ को चूसने से अथवा अदरक के चूर्ण का गरम पानी के साथ सेवन करने से दर्द की तीव्रता में बहुत आराम मिलता है ।
कनेर के पेड़ की पत्तियॉ छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें । इस चूर्ण को नाक में गहरी साँस के साथ सूँघने से खूब सारी छींके आती हैं और नाक से बहुत सारा पानी गिरता है । ऐसा होने से माइग्रेन के दर्द में तुरन्त आराम मिलता है ।
(माइग्रेन): दर्द सूर्य के निकलने तथा अस्त होने के साथ घटे-बढे़ उसे दूर करने के लिए 12 ग्राम गुड़ को 6 ग्राम घी के साथ मिलाकर सुबह सूर्योदय से पहले तथा रात को सोते समय खाएं।
माइग्रेन की दवा
अलसी चूर्ण 200 ग्राम
तुलसी पत्ते चूर्ण 100 ग्राम
दालचीनी 50 ग्राम
सौंठ 50 ग्राम
मलहठी 50 ग्राम
बादाम 50 ग्राम
सभी को चूर्ण बनाकर एक चम्मच सुबह शाम या 3 बार दुध के साथ दो ।
माइग्रेन के समाधान कए लिये इस लेख में दिये गये सभी प्रयोग हमारी समझ में पूरी तरह से हानिरहित हैं ।
माइग्रेन अकेले नहीं आता, साथ में लाता है ये 3 बड़े रोग
ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव आदि के कारण अधिक होता है माइग्रेन।
माइग्रेन का दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रह सकता है।
सर्दी लगना, वायरस और बुखार भी सिरदर्द के कारण बन जाते हैं।
*बार-बार सिर दर्द को हल्के में नहीं लेना आपको भारी पड़ सकता है।* यह माइग्रेन का दर्द भी हो सकता है। माइग्रेन में सिर के एक ही हिस्से में दर्द होता है। माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रहकर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, मितली, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा माइग्रेन में रोशनी, तेज आवाज से परेशानी महसूस होती है। कई बार माइग्रेन का दर्द ब्रेन हेमरेज या लकवा का कारण भी हो सकता है।
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