वशीकरण भाग-2
वशीकरण भा-2
आज भी अलग अलग उम्र की महिलाएं हैं जो वशीकरण के लिए बहुत कुछ लुटा चुकी हैं. कई महिलाओ और जवान बहनो ने तो अपना घर और पैसा और शरीर तक इस फेर में बर्बाद कर लिया वही वो अपनों की नजरों में तो गिरी ही समाज में भी बेज्जती का सामना करना पड़ा ऐसी कई महिलाये और लड़कियां हैं जो मेरे पास भी आई और अपनी आपवीती सुनाई जिससे पता चलता हैं कि कुछ लोग ज्योतिष का स्वांग रच कर लुभावने विज्ञापन सोशल मिडिया और व्हाट्सप्प ग्रुप पर भेज कर कैसे अपने जाल में फंसा लेते हैं... ऐसे लोग समाज को तो बर्वाद कर ही रहें हैं और ज्योतिष विद्या की प्रमाणिकता का मजाक भी बना रहें हैं जिसके चलते परेशान जातक जातिका ऐसे ढोंगी ज्योतिषीयों और तांत्रिक के फेर में फंस कर सही जानकार को भी उसी गिनती में गिनने लगते हैं.
असली नकली की पहचान
1. सही और अनुभवी ज्योतिष कभी भी फ्री सेवा नहीं देगा.
2. वो किसी भी जातक की कुंडली का विश्लेषण करने में कम से कम 3 से 5 दिन का समय लेगा क्योंकि तातत्काल में किसी भी कुंडली का विश्लेषण 1 या 2 दिन में नहीं किया जा सकता हैं.
3. मंत्र साधना में भी नियम लागू होते हैं कोई भी मंत्र 11,21,51 या 108 बार जप लेने भर से प्रभाव नहीं देता हैं उल्टा नुकसान ही होता हैं जैसे आजकल कई लोग बहुत सी समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई प्रकार के टोने-टोटके और मंत्र का जप करने को कहते हैं जो निराधार हैं ऐसा नहीं होता हैं यदि ऐसा ही होता तो बड़े बड़े ऋषि मुनि विद्वान कोई भी नियम कर्म की साधना के बगैर प्रखंड हो जाते इतना अपने आप को नहीं तपाते आजकल लोग सोचते हैं की फला टोना- टोटका या मंत्र करलूँगा / लूँगी तो चमत्कार हो जाएगा 100 में से एक ही कोई होता होगा जिसके जीवन में कोई मंत्र या टोटका करने से लाभ हुआ होगा मेरा मानना हैं यदि ऐसा किसी के साथ हुआ हैं तो ग्रहों के स्पोर्ट से ही होता हैं. क्योंकि जितनी भी वैदिक मंत्र साधनाए हैं वो सब वैदिक गढ़नाओ पर ही रचित की जाती हैं क्योंकि प्रतेक मंत्र का अक्षर ग्रहों से सम्बंध होता हैं और उन्ही अक्षरों के मेल से शब्द बनता हैं और शब्दों के मेल से मंत्र की रचना होती हैं और जब इनका जाप सधी हुई स्वास और स्वर में किया जाता हैं तो वही स्वर तरंगों में परिवर्तित होकर शरीर के अंदर और बाहर के वातावरण को सकारात्मक बनता हैं
और जब कोई मंत्र सिद्ध हो जाता हैं तो उसके अनुभव को आप किसी अन्य से बखान ही नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐसा साधक परम् आनंद में लीन हो जाता हैं.
क्रमशः-2
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