धर्म


​रामायण : धर्म की रक्षा के लिए किया गया गलत काम भी होता है सही

श्रीराम ने बाली का बध करके उसे उसके पापों की सजा दी। बाली के वध की कथा रामचरितमानस के किष्किंधा कांड में मिलती है। कई लोगों का इसको लकर प्रश्न करते हैं कि मर्यादापुरूषोत्तम श्रीराम ने बाली का वध नीति विरूध पीछे से क्यों किया। मरते समय बाली ने राम भगवान से पूछा था कि धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं। मारेहु मोहि ब्याध की नाईं। इसका अर्थ है कि हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्यों मारा। इसका उत्तर देते हुए राम जी कहते हैं कि-
दोहा
अनुज बधू भगिनी सुत नारी। 
सुनु सठ कन्या सम ए चारी। 
इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। 
ताहि बंधें कुछ पाप न होई। 
अर्थ
- राम कहते हैं कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी नजर से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है।

- ध्यान रहे बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी भी छीन ली थी। 
- भगवान का क्रोध इसलिए था कि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। 
- मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड दिया।
बाली को था ब्रह्मा का वरदान
- रामायण के अनुसार बालि की तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी ने बाली को ये वरदान दिया था।
- जिसके अनुसार जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जाएगी। 
रावण का भी हरा चुका था बाली
- बाली के पराक्रम के बारे में सुनकर एक बार रावण बालि से युद्ध करने पहुंचा। बालि उस समय पूजा कर रहा था। 
- लेकिन रावण लगातार बाली को ललकार रहा था, जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। 
- इससे नाराज होकर बाली ने रावण को अपनी बाजू में दबा कर चारों समुद्रों की परिक्रमा की थी। 
- बालि बहुत शक्तिशाली था और इतनी तेज गति से चलता था कि रोज सुबह-सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा कर लेता था। 
- इस प्रकार परिक्रमा करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करता था। 
- जब तक बालि ने परिक्रमा की और इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया तब तक रावण को अपने बाजू में दबाकर ही रखा था। 
- रावण ने छूटने की बहुत कोशिश की लेकिन छूट ना सका। पूजा के बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था। इसके बाद रावण ने बाली से मित्रता करली थी।

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