ग्रह गोचर


ग्रह चाल को समझे जो हमेशा बदलती रहती है , बहुत लोग परेशान हो जाते है मेरा काम नहीं बन रहा शादी नहीं हो रही उदासीनता दिन भर सारा दोष शनि महाराज पर राहु पर ,आप क्या कर रहे है ?? किसी ज्योतिष ने बोल दिया शनि की साढ़े साती हो गया काम जातक तो आधा वैसे ही मर गया , देश काल , देश हालत देखिए सारा दोष ग्रहों पर मत डालिए आपकी कोशिश कहां है ???या सारा दिन सिर पकड़ शनि राहु को कोसते रहोगे, इनका क्या कसूर? इनको तो अपने वक्त पर अपनी चाल बदलनी है वो अपना काम कर रहे आप अपना कीजिए बुद्धि भगवान ने दी है क्या अच्छा क्या बुरा आप सोच सकते है , माना ग्रहों का प्रभाव होता है उपाय भी किए जाते है जैसे कोई बीमार होता है तो दवाई खाता है पर सबकुछ कुण्डली नहीं होती आपके कर्म भी सही होने चाहिए, मेहनत पूरी,स्वामी विवेकानंद जी का कहना है ग्रह नक्षत्र आदि अपना अपना कार्य करेंगे तुम अपने कर्तव्य कार्यों से मत चूको ;

आज कल ऐसा कोई चैनल ऐप्स या साइड नहीं है जो नित्य आपको शनि की साढ़ेसाती के बारे में अनर्गल प्रलाप न करता दिखाई दे!

क्या सचमुच ही ऐसा होता है संसार में किसी के अच्छे बुरे कर्मों का दंड या पुरुस्कार सारी आबादी में चौथाई आबादी में बांटा जा सकता है। या फिर सभी म्यांमार या बैंकाक की तरह हिल जाएंगे

यहां सभी को आजादी है कुछ भी कहने लिखने और दिखाने की विशेषकर ज्योतिष में तो कोई अंकुश ही नहीं

किसी एक का एक्सीडेंट में पैर कट गया अरे भाई आपकी शनि की महादशा और साढ़ेसाती की वजह से हुआ है।

किसी का घर फैक्ट्री में आग लग गई तो अरे यहां भी शनि साढ़ेसाती और महादशा अनर्थ कर गयी ओहो राहु भी साथ आ गया है अब न घर के रहोगे न घाट के 

हम किस जमाने में जी रहे हैं।

ज्योतिष जानने की चीज जरूर है कर्म आपको करने है

मेने अपने अनुभव से जाना है कि शनि साढ़ेसाती या महादशा का प्रभाव सिर्फ शनि के किसी भी राशि में आने से ही पूरा नहीं हो जाता क्योंकि सबसे पहले हमें यह देखना चाहिए कि शनि हमारी जन्म लग्न कुंडली में किस भाव और राशि में बैठा है।

उसके बाद हमें यह भी जानना जरूरी हो जाता है कि इस वक्त हमारे स्वयं के कुंडली गौचर में शनि कहां विराजमान हैं और किस भाव राशि में है तथा उसपर किस किस ग्रह की युति या दृष्टि है और वह ग्रह किस भाव से सम्बन्ध रखते हैं।

उदाहरणतः जन्म कुंडली में शनि आपके लग्न में वृषभ राशि में केतु के साथ बेठा है और अब गौचर में मीन राशि में आकर तीसरी दृष्टि से लग्न को देख रहा है तो यह आपकी साढ़ेसाती या ढैया या फिर शनि की महादशा अंतर्दशा आपके निजी विवाहित जीवन में भारी पन उदासीनता और विरक्ति अलगाव और आपसी मतभेद की सम्भावनाऔं को बढ़ा सकती है । लेकिन इसमें आप धैर्य धीरज और (रोको लाल बत्ती) वाली स्थिति अपना कर इसे पार कर सकते हैं। और उपाय भी इस लिए दिए जाते हैं कि आपका मन में सही सोच वाइब्रेशन का समावेश हो आपका धीरज बढ़ जाता है और आप अपने इस भारी समय से पार निकल जाते हैं।

इसी तरह सबके अलग-अलग परिणाम स्थिति अनुसार बनते हैं।

बाकी अगर कोई अनहोनी होती है तो वह आपके भविष्य के लिए सुखद बन जाती है याने आपके किए पिछले पाप कर्म का दण्ड पाकर आप मुक्त हो जाते हैं आप कर्मों के क़र्ज़ से आजाद होते हैं।

किसी भी हादसे या अनहोनी के बाद आप स्वयं में मनन करके देखेंगे तो आप जरूर जान जाएंगे यह मेरे अनुभव की बातें हैं जो कुछ भी हमारे आपके जीवन में होता है उसका कोई न कोई कारण अवश्य है।

अच्छे कार्य करें, बुजुर्ग लाचार अनाथ अपंग और मजदूर आदि की सेवा करके हम शनि की कुदृष्टि का सामना कर सकते हैं 



_ज्योतिष कोई परमात्मा नही यह आपका मार्ग दर्शक है_
*हर तरह की कुण्डली बनवाने या सटीक कुण्डली विश्लेषण हेतू आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं*_

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