ज्योतिष सूत्र
आंतरिक और बाहरी चोट
जातक पर ग्रह ज़ब भी अपनी अशुभता देता है तोह दोनों तरफ से देता है कभी दोनों एक साथ उजागर होते है जैसे जातक को बीमारी भी बड़ी लग गयी और उसके काम काज व नौकरी के हालात भी मंदे हो चले हो तो तब जातक या उसके परिवार वाले कहीं न कहीं से किसी न किसी से कर्ज लेके उसको थोड़ा मोहलत के लिए टाल तो देते है मान लो जन्म कुंडली मे घर के मुख्या के हालात ख़राब हो आंतरिक तौर पर ओ बीमार हो चला है अब उसका मुख्य प्रधान ग्रह यानी लग्न का स्वामी कहीं न कहीं ख़राब हो रहा होता है मान लो ओ शनि प्रधान जातक है और उसको पैरलाइसिस हुआ है शनी के इफ़ेक्ट होते ही हुआ है क्यूंकि जबतक लग्नबल कितने अंसबल बल है फिर लग्नेश कितने अंसबल पर है. लग्नबल 0से 7,8 डिग्री पर है तोह लग्न ओ कमजोर तोह ही अब शनि भी या तो वक्री या अगर ओ भी सेम अंसबल पर कमजोर है तोह बिमारी लगती रहेगी ओ बीमार होता रहेगा लेकिन ज़ब भी ख़राब ग्रह की दसा आएगी जैसे बुध की आयी बुध मंगल की राशि मे है खास्तर 8 वी मे और ओ उसी भाव मे ही हो तो एक तोह शनि मे बल नहीं ऊपर से दसा ख़राब सुरु ख़राब बुध पहले तोह काम धंदे के हालाद को मंदा करेगा जातक की नौकरी लगती रहेगी छूटती रहेगी अब ज़ब शनि ख़राब तोह ओ ज़ब भी अपना काम करने की सोचेगा तोह पैंसा ही डूबा देगा अब ये बाहरी तत्व की ख़राब उजागर हुयी, अब बुध नसों का कारक है शनि का स्थान भी पैरो हाथ की नसों पर ही होता है लेकिन शनि भले ही मंदा हो लेकिन एक दम अपने प्रधान जातक को चोट नी देता धीरे धीरे देता है क्यूंकि ओ उतने ही बल मे है., अब जातक का सूर्य यदि शुक्र से मिल जाय े अक्सर ही पाया है ज़ब भी सूर्य शुक्र साथ मे 12वे भाव मे हो तो शनि मंदा ही होगा, सूर्य से शुक्र की ताकत वैसे ही नस्ट हो जाती है और सूर्य 12घर मे खुद ही मंदा हो गया ऊपर से बुध की दसा ओ भी मंगल की राशि मे सूर्य शुक्र साथ यानी खून गाड़ा होना नसों मे उसका प्रवाह धीरे धीरे कम होने लगता है जिससे जातक को हार्ट कमजोर व नसो मे थक्के बनने लगते है नतीजा जातक को या तोह हार्ट की दिक्कत होंगी या पैरलाइसिस.. अब शनि मंदा तोह अपना काम लाख मर्जी सुरु करो कोई रिजल्ट नहीं अंत मे सटर बंद. बुध मंदा तोह जातक की नौकरी अचानक गयी बिना किसी नोटिस के, सूर्य से शुक्र मंदा और स्वयं सूर्य 12वे घर का तो सिर्फ खर्च होगा आएगा कहीं से इतना नहीं की ओ किसी का लौटा सके शुक्र ज़ब मंदा तोह बिमारी से लड़ने क्षमता भी कम हो जाती है, इसका असर घर के रिश्तो पर भी पड़ता है पत्नि छोड़ के चली गयी क्यूंकि उसका शुक्र 12वे ख़राब हो रहा है ओ भी सूर्य से तोह पत्नि मनोदसा ही बदल जाती है उसे पति की सेवा बोझ लगने लगती है और यदि उश्के खुद का गुरु 8वे भाव मे हुआ मंगल बद हुआ तोह जरूर पति के इलाज मे उसका सोना भी बिका होगा और उसी से नेगेटिव ओ होकर छोड़ देती है.. अब जातक का सूर्य 12 है और उसे खुद बड़ी समस्या ये हो गयी है तोह जायज है की पिता होंगे ही नहीं उसके ओ भी हार्ट की बीमारी से ही चल बसे होंगे यदि होंगे तोह हार्ट के रोगी..
ये ओ हाल है जिनको एक्यूरेट पाया है मैंने 10मेसे 9 कुंडली मे अब सोचो की ये हालाद मौत से भी बत्तर है.
हो सकता है कुछ महान लोगो को ये मिथ्या लगे तोह प्रभु चाहे वैसे ही लगे और आपको ये दिन न देखने पड़े जिस तरह डॉ के सामने मरीज दम तोड़ता है ओ कहीं बया नी करता वैसे हम भी है की हमारे सामने क्या क्य घटा है.
👉आगे और जानेंगे बेसिक बातो को 👈
श्री वैदिक ज्योतिष अनुसन्धान
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