जन्मकुंडली में शनि देव का प्रभाव
जन्मकुंडली में शनि देव का प्रभाव
शनिदेव की दृष्टि ये बताने के लिए काफी है की शनि की दशा में जातक को किस चीज का अधिक ध्यान रखना चाहिए।
"द्वितीय भाव" में 'शनि बड़ा परिवार' देता है। द्वितीय भाव में "गुरू समृद्ध परिवार" देता है।
जन्मकुंडली में शनि का प्रभाव
"प्रथम भाव में शनि" सफलता, व्यक्तित्व, प्रसिद्धि के बारे में चिंता "द्वितीय भाव में शनि" धन, परिवार, वाणी, आंख, दांत के बारे में चिंता
"तृतीय भाव में शनि" सहकर्मी, पडोसी, नौकर, छोटे भाई बहन के बारे में चिंता "चतुर्थ भाव में शनि" सुख, मकान, जमीन, माता, घरेलू वातावरण की चिंता
"पंचम भाव में शनि" प्रेम, संतान, शिक्षा के बारे में चिंता "छठे भाव में शनि" रोग, ऋण, शत्रु, नौकरी, मामा पक्ष के बारे में चिंता
जन्मकुंडली में शनि का प्रभाव
सप्तम भाव में शनि विवाह, व्यापार, साझेदार, दैनिक रोजगार, समाज की चिंता
अष्टम भाव में शनि ससुराल की चिंता, रोग की चिंता, आयु की चिंता
नवम भाव में शनि भाग्य की चिंता, धर्म की चिंता, साले व साली की चिंता, बीते हुए कल की चिंता
दशम भाव में शनि कर्म, नौकरी, व्यवसाय, यश व अपने विस्तार की चिंता
✔ एकादश भाव में शनि लाभ की चिंता, वैभव की चिंता, इच्छापूर्ति की चिंता द्वादश भाव में शनि हानि की चिंता, अपयश की चिंता, शैग्या सुख की चिंता, बंधन की चिंता
✓ चिंता इसलिए भी होने लगती है क्योंकि शनि जहां स्थित होते हैं। वहां के फल देरी से प्राप्त होते हैं जिससे जातक परेशान हो जाता है और चिंता करना शुरू कर देता है।
(चिंता देना और बुरा फल देना दोनों अलग अलग चीजें होती है।)
_ज्योतिष कोई परमात्मा नही यह आपका मार्ग दर्शक है_
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