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श्रीमद्भागवत पुराण – विस्तृत हिंदी रिव्यू

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श्रीमद्भागवत पुराण – विस्तृत हिंदी रिव्यू प्रस्तावना श्रीमद्भागवत पुराण भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथों में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु और उनके अवतारों, विशेषकर भगवान श्रीकृष्ण की लीला और भक्ति पर केंद्रित है। इसे महर्षि वेदव्यास ने संकलित किया था। इस ग्रंथ का उद्देश्य भक्तिपूर्ण जीवन जीने और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को सरल भाषा में प्रस्तुत करना है। पुस्तक का स्वरूप भागवत पुराण कुल 12 स्कंधों (Cantos) में विभाजित है और इसमें लगभग 18,000 श्लोक हैं। इसमें सृष्टि की रचना, प्रलय, मनुष्यों और देवताओं की कथाएँ, भगवान के विभिन्न अवतार और भक्ति मार्ग का वर्णन है। मुख्य विषयवस्तु भागवत पुराण का मूल संदेश है – भक्ति के द्वारा मोक्ष प्राप्ति संभव है। 1. भगवान के अवतार और लीला पुराण में विष्णु भगवान के दशावतार और अन्य अवतारों का विस्तृत वर्णन है। श्रीकृष्ण लीला, गोकुल और वृंदावन की घटनाएँ, कंस वध और रासलीला प्रमुख रूप से प्रस्तुत हैं। 2. भक्ति मार्ग भागवत पुराण बताता है कि केवल ज्ञान और कर्म से नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति और प्रेम से ईश्वर की प्राप्ति स...

भारत में क्रेडिट स्कोर, प्राइवेट ऐप्स और उपभोक्ता की परेशानी

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भारत में क्रेडिट स्कोर, प्राइवेट ऐप्स और उपभोक्ता की परेशानी भारत में जब कोई व्यक्ति लोन लेना चाहता है, तो सबसे पहले उसकी क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर चेक की जाती है। यह स्कोर आमतौर पर "सिविल स्कोर" (CIBIL Score) के नाम से जाना जाता है। लेकिन आम लोगों के लिए यह समझना आसान नहीं है कि क्यों अलग-अलग साइट्स और ऐप्स पर एक ही व्यक्ति का स्कोर अलग-अलग आता है और क्यों इसके कारण लोन लेने वालों को दिक्कत होती है। --- अलग-अलग साइट्स पर अलग स्कोर क्यों? भारत में केवल एक ही CIBIL नहीं है, बल्कि कुल चार मान्यता प्राप्त क्रेडिट ब्यूरो हैं – 1. CIBIL (TransUnion) 2. Experian 3. Equifax 4. CRIF Highmark हर ब्यूरो का डेटा अलग-अलग हो सकता है, क्योंकि बैंक और एनबीएफसी कभी-कभी सभी ब्यूरो को समय पर अपडेट नहीं करते। किसी में पेमेंट जल्दी अपडेट हो गया तो किसी में देर से। इसके अलावा हर ब्यूरो का एल्गोरिद्म अलग होता है। यही कारण है कि एक ही व्यक्ति का स्कोर एक साइट पर 720 दिखता है और दूसरी पर 680। --- लोन लेने वालों को दिक्कत क्यों होती है? यहाँ असली दिक्कत लोन लेने वाले के सामने आती ...

जिंदगी को खूबसूरत बनाने के तरीके

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जिंदगी को खूबसूरत बनाने के तरीके जीवन एक बहती हुई नदी की तरह है—कभी शांत, कभी प्रबल। इसे खूबसूरत बनाना हमारे अपने हाथ में है। किसी ने सही कहा है: "Life is 10% what happens to us and 90% how we react to it." – Charles R. Swindoll अर्थात् परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती-जाती रहती हैं, लेकिन हमारी सोच और प्रतिक्रिया ही जीवन की असली खूबसूरती तय करती है। 1. सकारात्मक सोच अपनाएँ मुसीबत हर किसी के जीवन में आती है, फर्क सिर्फ इतना है कि कोई उसे अवसर मान लेता है और कोई हार मान लेता है। थॉमस एडिसन ने जब बल्ब बनाने की कोशिश में हजार बार असफलता पाई, तब भी उन्होंने कहा था – “मैं असफल नहीं हुआ, मैंने केवल 1000 तरीके खोज लिए जो काम नहीं करते।” इसलिए नकारात्मकता को छोड़कर हर परिस्थिति को सीखने का अवसर समझें। 2. स्वस्थ जीवनशैली "स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन वास करता है।" सचिन तेंदुलकर रोज़ाना अनुशासन और फिटनेस को प्राथमिकता देते थे, तभी वे 24 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल पाए। हमें भी नींद, भोजन और व्यायाम को संतुलित रखना चाहिए। 3. कृतज्ञता का भाव "Gratitude tu...

धर्म- जीवन का आधार-2

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धर्म- जीवन का आधार भारतीय संस्कृति और दर्शन में ‘धर्म’ शब्द को बहुत व्यापक अर्थों में लिया गया है। सामान्यतः लोग धर्म को केवल पूजा-पाठ, मंदिर या धार्मिक कर्मकांड से जोड़कर देखते हैं, जबकि वास्तव में धर्म का अर्थ इससे कहीं अधिक गहरा और व्यापक है। धर्म जीवन का वह मूल सिद्धांत है, जो मनुष्य को कर्तव्य, मर्यादा, सत्य, न्याय, करुणा और ईमानदारी से जोड़ता है। यही कारण है कि धर्म को मानव जीवन का आधार कहा गया है। 1. धर्म का वास्तविक अर्थ संस्कृत में ‘धृ’ धातु से धर्म शब्द बना है, जिसका अर्थ है – धारण करना या संभालना। धर्म वही है जो इस संसार को, समाज को और व्यक्ति के जीवन को संभाले और टिकाए रखे। धर्म का अर्थ केवल धार्मिक पहचान (हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई आदि) नहीं है, बल्कि वह आचरण है जो मानवता को सुरक्षित रखे और जीवन को सही दिशा दे। 2. धर्म और कर्तव्य धर्म का पहला और सबसे महत्वपूर्ण रूप है – कर्तव्य पालन। हर व्यक्ति के जीवन में अनेक भूमिकाएँ होती हैं – पुत्र, पति, पत्नी, माता-पिता, नागरिक, शिक्षक, विद्यार्थी आदि। हर भूमिका के साथ कुछ जिम्मेदारियाँ और कर्तव्य जुड़े होते हैं। धर्म हमें यह ...

वैदिक जीवन सूत्र

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वैदिक जीवन सूत्र -1 वैदिक सिद्धांत का परिचय वैदिक सिद्धांत भारतीय संस्कृति और दर्शन की सबसे प्राचीन नींव माने जाते हैं। इनका आधार वेद हैं, जिन्हें मानव सभ्यता का सबसे पुराना ज्ञानग्रंथ माना गया है। वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, प्रकृति के साथ सामंजस्य, समाज व्यवस्था और आत्मज्ञान की शिक्षा प्रदान करने वाले शाश्वत मार्गदर्शक हैं। वैदिक सिद्धांतों का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को सत्य, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग पर चलाना है। इनमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र – चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, सामाजिक व्यवस्था हो या आध्यात्मिक साधना – के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इन सिद्धांतों की विशेषता यह है कि वे समय और परिस्थिति के अनुसार भी प्रासंगिक बने रहते हैं। प्रकृति की पूजा, कर्म पर बल, आत्मसंयम, सत्यवादिता, अहिंसा, सहयोग, और समता जैसे मूल्य वैदिक चिंतन की धुरी हैं। वेद मानवता को यह सिखाते हैं कि जीवन का अंतिम लक्ष्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि आत्मा का उत्थान और मोक्ष की प्राप्ति है। --- वैदिक क्यों अछूता है? वैदिक परंपरा को अछूता या अद्वितीय इसीलिए कहा ...

कामकला के आध्यात्मिक रहस्य

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कामकला के आध्यात्मिक रहस्य वास्तव में शरीर, मन और आत्मा से जुड़े गहरे विज्ञान को दर्शाते हैं। यह केवल शारीरिक संबंध तक सीमित नहीं है बल्कि प्रेम, ऊर्जा और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। प्राचीन भारतीय ग्रंथ जैसे कामसूत्र और तंत्र शास्त्र इस विषय में विस्तृत रहस्य बताते हैं। मुख्य रहस्य इस प्रकार माने जाते हैं – 1. प्रेम और विश्वास का आधार कामकला का पहला रहस्य यह है कि इसमें केवल शरीर नहीं बल्कि भावनाओं का भी गहरा जुड़ाव होता है। सच्चा आनंद तभी मिलता है जब दोनों के बीच विश्वास और आत्मीयता हो। 2. ऊर्जा का आदान-प्रदान तंत्र दर्शन मानता है कि कामकला में स्त्री और पुरुष के मिलन से जीवन-ऊर्जा (प्राणशक्ति) का आदान-प्रदान होता है। यह ऊर्जा यदि सही भाव से उपयोग हो तो आत्मबल और मानसिक शांति प्रदान करती है। 3. संतुलन और धैर्य कामकला का रहस्य जल्दबाज़ी में नहीं, बल्कि धैर्य और लयबद्धता में छिपा है। लय और तालमेल जितना गहरा होगा, आनंद उतना ही गहन होगा। 4. श्वास और ध्यान का महत्व योग और तंत्र में बताया गया है कि कामकला में श्वास पर नियंत्रण और सजगता रखने से आनंद दीर्घकालिक और गहरा हो जात...

अध्यात्म

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मनुष्य के लिए अध्यात्म ही ऐसा माध्यम हैं जो उसे सकारात्मक जीवन जीने की कला से अवगत करता हैं... यदि मनुष्य भोजन की भांति या अपनी भौतिक लालसा की भांति अध्यात्म को नित्य जीवन में अपनाता हैं तो उसका हर प्रकार का संदेह मिट जाता हैं. 1. अध्यात्म का अर्थ गीता (अध्याय 8, श्लोक 3) में भगवान कहते हैं: “अधिभूतं क्षरो भावः पुरुषश्चाधिदैवतम्। अधियज्ञोऽहमेवात्र देहे देहभृतां वर।। अध्यात्मं कर्मचाखिलम्।” यहाँ अध्यात्म का अर्थ है – अपने स्वरूप (आत्मा) का ज्ञान और उसे परमात्मा से जोड़ना। सरल शब्दों में अध्यात्म = आत्मा का स्वरूप + परमात्मा से संबंध की पहचान। --- 2. गीता में अध्यात्म के मुख्य बिंदु 1. आत्मा और शरीर का भेद अध्यात्म का पहला कदम है यह समझना कि “मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ।” (अध्याय 2, श्लोक 20) आत्मा को न जन्म है, न मृत्यु। 2. परमात्मा का साक्षात्कार आत्मा का वास्तविक लक्ष्य है परमात्मा (श्रीकृष्ण) से मिलन। अध्यात्म का अर्थ है अपने अस्तित्व को भगवान के शरण में अर्पित करना। 3. अध्यात्म = स्वधर्म का पालन गीता (अध्याय 3, श्लोक 35) में कहा है कि अपने स्वधर्म का पालन करना अध्यात्म का ह...